Rich Dad Poor Dad Summary in Hindi | अमीर बनने का रहस्य?

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दोस्तों दुनिया का हर इंसान अमीर बनना चाहता है, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग अमीर नहीं बन पाते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं, कि ऐसा क्यों होता है? तो आप बिल्कुल सही जगह पर हो।

क्योंकि आज हम बात करने वाले हैं, दुनिया की Best Seller Book रिच डैड पुअर डैड की, जो Robert Kiyosaki द्वारा लिखी गई, Rich Dad Poor Dad Book का हिंदी अनुवाद है। इस किताब में पैसों का मैनेजमैंट करना बहुत ही अच्छे ढंग से सिखाया गया है।

आप इस आर्टिकल को पढ़कर अच्छे से समझ पाएंगे कि, पैसे को कैसे कमाया जाये? और पैसे को कहां और कैसे खर्च किया जाये?

Table of Contents

रिच डैड पुअर डैड किताब का सारांश हिंदी में

लेखक/Authorरॉबर्ट कियोसाकी/Robert Kiyosaki
प्रकाशक/PublisherPlata Publishing House
मूल भाषा/Original LanguageEnglish
मूल शीर्षक/Original TitleRich Dad Poor Dad
हिंदी अनुवाद शीर्षक/Hindi Translate Languageरिच डैड पुअर डैड
श्रेणी/GenrePersonal Finance/Self-Help
ISBN978-81-86775-9
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Blog Post TitleRich Dad Poor Dad Summary in Hindi

Rich Dad Poor Dad Summary in Hindi

पैसों के बारे में अमीर लोग अपने बच्चों को ऐसा क्या सिखाते हैं, जो गरीब और मध्यम वर्ग के माता-पिता नहीं सिखाते।

पैसा किस तरह से कमाया जाये, और किस तरह से खर्च किया जाये, ये हमें किसी भी स्कूल या कॉलिज में नहीं पढ़ाया जाता है।

शायद यही वजह है, जिसके कारण अमीर लोग ओर भी ज्यादा अमीर हो जाते हैं, और गरीब लोग ओर भी ज्याद गरीब। मीडिल क्लास फैमिली की जिन्दगी तो Loan की किस्त ही चुकाने में निकल जाती है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि पैसा शक्ति का एक रुप है, लेकिन Financial Education इससे भी ज्यादा शक्तिशाली है।

पैसा तो आता-जाता रहता लेकिन अगर आप ये जानते हैं, कि पैसा कैसे काम करता है, तो आप इस पर काबू पा सकते हैं, और दौलत बनाना शुरु कर सकते हैं।

हममें से ज्यादातर लोग पैसों के बारे में अपने माता-पिता से ही सीखते हैं, लेकिन एक गरीब माता-पिता अपने बच्चों को पैसों के बारे में क्या सिखा सकते हैं, वो सिर्फ इतना ही कह सकते हैं कि स्कूल जाओ और मेहनत से पढ़ो और एक अच्छी नौकरी करो।

हो सकता है वो बच्चा अच्छे अंको से अपनी पढ़ाई पूरी कर भी ले, लेकिन पैसों के बारे में उसकी समझ और मानसिकता  एक गरीब व्यक्ति जैसी ही रहेगी।

हमारी आज की शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी कमी ये है कि हमें पैसे के विषय के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है।

अगर आप जानना चाहते हैं, कि ऐसी क्या चीज है जो गरीब और अमीर इंसान के बीच अंतर पैदा करती है तो इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

आइये अब Rich Dad Poor Dad Book Summary in Hindi की शुरुआत करने से पहले इस किताब के लेखक Robert Kiyosaki के बारे में थोड़ा सा जान लेते हैं। 

रॉबर्ट कियोसाकी कौन हैं?

रॉबर्ट कियोसाकी एक जापानी अमेरिकी हैं जिनका जन्म 08 अप्रैल 1947 को हवाई में हुआ था। ये एक अमेरिकी बिज़नेसमैन, लेखक और निवेशक हैं। रॉबर्ट कियोसाकी रिच ग्लोबल एलएलसी और रिच डैड कंपनी के संस्थापक हैं।

Rich Dad Poor Dad Summary in Hindi
Rich Dad Poor Dad Summary in Hindi

रिच डैड कंपनी एक निजी वित्तीय शिक्षा कंपनी है, जो पुस्तकों और वीडियो के माध्यम से लोगों को Personal Finance और Vocational Education प्रदान करती है। Robert Kiyosaki  पूरी दुनिया में पैसे कमाने के तरीके को लेकर अपनी सोच के लिए के जाने जाते हैं। 

रॉबर्ट कियोसाकी द्वारा लिखी गयी सभी किताबों में से सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब रिच डैड पुअर डैड” है, जो न्यूयोर्क टाइम्स मैगजीन की Best Seller Books में शामिल की जा चुकी है।

Rich Dad Poor Dad Book को दुनिया के 95% लोगों ने पसन्द किया है। रॉबर्ट कियोसाकी अब तक 25 से भी ज्यादा Books लिख चुके हैं।  निवेश और व्यवसाय से सम्बन्धित इनके द्वारा लिखी गयी अन्य पुस्तकें भी बाजार में उपलब्ध है। 

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रिच डैड पुअर डैड बुक आपको क्यों पढ़नी चाहिए?

रिच डैड पुअर डैड कोई साधारण किताब नहीं है, बल्कि यह ऐसी किताब है, जिसको पढ़ने के बाद आप एक बार जरुर सोचेंगे कि मैंने इसको पहले क्यों नहीं पढ़ा?

इस Book की जितनी भी तारीफ की जाए, उतना कम है। यह बुक रॉबर्ट कियोसाकी के व्यक्तिगत जीवन पर आधारित है।

इस किताब में Money Management करना आपको बहुत ही अच्छे तरीके से सिखाया गया है। रिच डैड पुअर डैड बुक की दुनियाभर में अब तक 46 मिलियन से भी ज्यादा कॉपी बिक चुकी हैं।

इस Book की लोकप्रियता को देखते हुये, इसका 50 से भी ज्यादा अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। 

क्योंकि मामला पैसों की समझ का है इसलिये मुझे लगता है कि दुनिया के हर इंसान को चाहे वो किसी भी Profession से क्यों न हो, जिन्दगी में एक बार इस किताब को जरूर पढ़ना चाहिये ।

अगर आप एक Student  तो आपके लिए ये किताब और भी ज्यादा फायदेमंद साबित होगी, क्योंकि हमें स्कूल या कॉलेज के दिनों में केवल कोर्स के बारे में ही पढ़ाया जाता है।

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि ये किताब पैसों को लेकर आपका नजरिया बदल देगी। 

Rich Dad Poor Dad Book अमीरी का शॉर्टकट नहीं बताती, बल्कि यह सिखाती है, कि आप पैसे की समझ को कैसे विकसित करें और किस तरह अमीर बनें?

चलिए अब Rich Dad Poor Dad Book Summary in Hindi के मुख्य भाग की शुरुआत करते हैं

Rich Dad Poor Dad Story in Hindi

इस किताब में लेखक रॉबर्ट कियोसाकी अपने Rich Dad और Poor Dad  के बारे में बताते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि एक ही आदमी के दो पिता कैसे हो सकते हैं। दरअसल रॉबर्ट अपने खुद के पिता को पुअर डैड कहते थे और अपने मित्र माइक के पिता को रिच डैड कहते थे ।

रॉबर्ट के खुद के पिता जिन्हें वो गरीब पिता कहते थे, वो एक उच्च शिक्षित और बुध्दिमान व्यक्ति थे। वे एक पी.एच.डी होल्डर शिक्षक थे जबकि उनके दूसरे पिता जिन्हें रॉबर्ट अपना अमीर पिता कहते थे, 8 वीं क्लास भी पास नहीं कर पाए।

रॉबर्ट के दोनों ही डैडी अपने-अपने करियर में सफल थे। दोनों ही पिताओं ने जिंदगीभर कड़ी मेहनत की और काफी पैसे कमाया।

लेकिन एक हमेशा आर्थिक परेशानियों से जूझते रहे और वहीं दूसरे पिता आगे चलकर हवाई के सबसे अमीर लोगों में से एक बनें।

हममें से ज्यादातर लोग पैसों के बारे उन लोगों से सीखते हैं, जो खुद, जिंदगीभर पैसों की कमी के कारण जूझते रहते हैं।

आपने देखा होगा कि कुछ लोग दूसरे लोगों को फाइनेंसियल एडवाइस ऐसे देते हैं, जैसे सारी दुनिया का ज्ञान उन्हीं के पास हो।

आप जरा सोचकर देखिए, अगर आप दो लोगों से सलाह मांगते हैं, जिनमे से पहला 1 लाख रूपये प्रति महीना और दूसरा 10 लाख प्रति महीना कमाता है, तो इनमे से किसकी सलाह आपके लिए ज्यादा कारगर साबित होगी?

मेरे हिसाब से 10 लाख प्रति महीना कमाने वाले व्यक्ति की सलाह आपके लिए ज्यादा कारगर साबित होगी।

रॉबर्ट कहते हैं मैं खुश नसीब था कि मेरे दो डैडी (एक गरीब और दूसरे अमीर) थे, इसलिए मेरे पास दो विरोधी दृष्टिकोणों का विकल्प था, एक गरीब आदमी का और दूसरा अमीर आदमी का ।

मिसाल के तौर पर, पुअर डैडी कहते थे, “पैसे का प्रेम, ही सारी बुराई की जड़ है। वहीं रिच डैडी कहते थे, “पैसे की कमी सारी बुराई की जड़ है। 

पुअर डैडी कहते थे, मैं इसे नहीं खरीद सकता। वहीं रिच डैडी कहते थे, मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ? यहाँ एक वाक्य कथन और दूसरा प्रश्न है।

एक में बात खत्म हो जाती है और दूसरे में आपका दिमाग सोचने के लिए मजबूर हो जाता है, कि इसे कैसे खरीदा जा सकता है? अमीर डैडी कहते है, “मैं इसे नहीं खरीद सकतायह कहना मानसिक आलस्य की निशानी है ।

पुअर डैडी सलाह देते थे, “मेहनत से पढ़ो, ताकि तुम्हें किसी अच्छी कंपनी में नौकरी मिल सके।”  वहीं अमीर डैडी नसीहत देते थे, “मेहनत से पढ़ो, ताकि तुम्हें खरीदने के लिए कोई अच्छी कंपनी मिल जाए।

पुअर डैडी कहते थे, “मैं इसलिए अमीर नहीं हूँ, क्योंकि मुझे बाल-बच्चों को पालना पड़ता है। “वहीं अमीर डैडी कहते थे,“मुझे इसलिए अमीर बनना है क्योंकि मुझे बाल-बच्चों को पालना है।

पुअर डैडी कहते थे, “जहाँ पैसे का मामला हो, वहाँ सुरक्षित खेलो । जोखिम मत लो। “वहीं अमीर डैडी कहते थे “जोखिम को सँभालना सीखो।

आखिकार रॉबर्ट टी. कियोसाकी ने मात्र 9 वर्ष उम्र ही फैसला ले लिया, कि वे सिर्फ अमीर डैडी की सलाह मानेंगे और केवल उन्हीं के बताए गए रास्ते पर चलेंगे।

रॉबर्ट ने अपनी पढ़ाई शुरू की और इसी पढ़ाई के दौरान उन्होंने अमीर डैडी से कुछ सबक सीखे जिनकी बदौलत वो आगे चलकर अमीर बन गये। 

अब हम Rich Dad Poor Dad Hindi Summary के इस आर्टिकल में एक-एक करके उन्हीं सबक के बारे में पढने वाले हैं, जो अमीर डैडी ने रॉबर्ट कियोसाकी को दिए थे ……

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सबक 1 : अमीर लोग पैसों के लिए काम नहीं करते

सबसे पहले आप इस छोटी सी कहानी को समझ लीजिए, एक व्यक्ति, जिसके पास एक गधा होता है। जब उस व्यक्ति को अपने गधे से मेहनत करानी होती थी, तो वह एक गाजर उस गधे के आगे लटका देता है। उस गाजर को देखते ही गधा उसे खाने के लालच में मेहनत करने लगता है।

उस गधे को उम्मीद होती है कि एक ना एक दिन वो उस गाजर  तक पहुँच ही जायेगा, लेकिन बेचारा गधा उस  गाजर तक कभी नहीं पहुँच पाता क्योंकि यह गाजर तो सिर्फ एक छलावा है, लेकिन उस व्यक्ति के लिए यह गाजर, गधे से मेहनत कराने की, एक अच्छी  तरकीब बन गयी थी।

ज्यादातर लोग उसी गधे की तरह ही होते हैं, जो इस उम्मीद में मेहनत पर मेहनत किये चले जाते हैं, कि एक दिन वो अमीर बन जायेंगे। लेकिन पैसा उनके लिए केवल एक सपना बन कर ही रह जाता है, वो कभी भी अमीर नहीं बन पाते ।

अगर आप अमीर बनना चाहते हैं, तो सिर्फ पैसा कमाने के लिए काम ना करें, बल्कि पैसे को अपने लिए काम करने दें, क्योंकि जैसे ही हम अमीर बनने की राह में अपना पहला कदम बढ़ाते हैं, तो हमारा डर और लालच हम पर हावी होने लगता है कि कहीं हम गरीब के गरीब ही ना रह जायें। 

इस अध्याय में Author ने उन लोगों की बात की है, जो खेल को सुरक्षित खेलना चाहते हैं, यानि जो लोग रिस्क लेने से ड़रते हैं, क्येंकि उनको जोखिम लेना तो कभी सिखाया ही नहीं गया।

ऐसे लोगों के दिमाग में कुछ चीजों को लेकर हमेशा डर बना रहता है। जैसे लोन कि किस्त ना चुका पाने का डर, नौकरी छूटने का डर, पर्याप्त पैसे ना होने का डर और दोबारा नए सिरे से शुरूआत करने का डर आदि। इन्हीं डर की वजह से ज्यादातर लोग नौकरी करते हैं।

यही डर और लालच हमें ऐसे चक्कर में उलझा देता है, जो कभी खत्म होने का नाम नहीं लेता। हम ज्यादा मेहनत करते हैं, ताकि हम ज्यादा कमा सकें, लेकिन फिर हमारे खर्चे भी उसी हिसाब से बढ़ने लगते हैं ।

इसी को अमीर डैड RAT RACE (चुहां दौड़) कहते हैं, जोकि एक ट्रेप है। हमको लालच और डर के इस ट्रेप से बचना है। क्योंकि हममें से ज्यादातर लोग जो अमीर बनना चाहते हैं, इसी ट्रेप का शिकार हो जाते हैं।

लेखक का कहना है कि हर इंसान की जिंदगी में अपॉर्चुनिटीस (मौके) आती हैं, लेकिन जहाँ अमीर लोग उन अपॉर्चुनिटीस को पहचान कर उनको अपने लक्ष्य में तबदील कर लेते हैं, वहीं गरीब लोग इन अपॉर्चुनिटीस को देख ही नहीं पाते, क्योंकि गरीब लोग हमेशा, पैसे और सिक्योरिटी के पीछे भागने में लगे रहते हैं।

लेखक का कहना है कि पैसा हमारे लिए 24 घंटे काम कर सकता है, लेकिन अगर हम पैसे कि लिए काम कर रहे हैं, तो उसका फायदा केवल हमारे मालिक को होता है या उस कंपनी को जहाँ आप नौकरी कर रहे हैं।

और अगर हम पैसे को अपने लिए काम पर लगाते हैं, तो सारी Power और कंट्रोल हमारे हाथों में होता है, इसलिए पैसों के लिए काम करने के बजाये, पैसे को अपने लिए काम करने के लिए मजबूर कर दीजिए।

अगर आप वाकई अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि आप खुद के लिए जवाबदेह हैं! ना कि दुसरों के लिए। आपका जो भी सवाल है, खुद से पूछिए क्योंकि उनका जवाब सिर्फ आपके पास ही है ।

अमीर बनने की राह में आपका पहला कदम होना चाहिए कि आप सबसे पहले अपने मन से डर निकाल दीजिए, क्योंकि ज्यादा पैसा न कमा पाने का डर और लालच ही आपको बिना सोचे-समझे काम करने के लिए मजबूर करता है और आपको नाकामयाबी के रास्ते पर धकेलता है ।

इसलिए डर और लालच को खुद पर इतना हावी न होने दें, कि उसकी वजह से आप उल्टे-सीधे फैसले लेते रहें। बेहतर होगा कि आप जो भी करें अच्छे से सोच समझकर करें। अपना कोई भी निर्णय जल्दबाजी में न लें। 

आपको प्रतिदिन अपने आप से पूछना चाहिए, कि क्या आप उतना कर पा रहे हैं, जितना आपको आपनी पोटेशियल के मुताबिक करना चाहिए। ऐसे लोगों की तरह सोचना बंद कर दीजिए, जो सिर्फ और सिर्फ पैसों के लिए ही काम करते हैं ।

अमीर डैडी अपने पहले सबक की शुरुआत कुछ इस तरह करते हैं कि वो रॉबर्ट और उसके मित्र माइक को अपने एक कनवीनिएंस स्टोर में काम पर लगा लेते हैं।

इस काम के लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता, फिर भी वो दोनों काम करते रहते हैं। वो दोनों पूरे दिल से इस काम को करते हैं। इसका फायदा ये हुआ कि इस काम के दौरान उनके दिमाग में कई नये Idea आये ।

अमीर डैडी ने उन दोनों को बताया था कि पैसा कमाने के तरीकों पर हमेशा निगाह रखें, अगर अपने एक बार अवसर को पहचान लिया तो आप जीवनभर अच्छे अवसरों को पहचानने लगोगे। 

उन दोनों ने अमीर डैडी कि इस बात को याद रखा, उन्होंने देखा कि उस स्टोर की क्लर्क मिसिज मार्टिन कॉमिक्स बुक के सामने वाले पेज को दो हिस्सों में फाड़ देती थी, और आधा हिस्सा वो अपने पास रख लेता थी, और बाकि का आधा हिस्सा फेक देती थी।

शाम के समय स्टोर में कॉमिक्स डिस्ट्रीब्यूटर आता था, और कॉमिक्स बुक के ऊपरी आधे हिस्से को स्टोर की क्लर्क मिसिज मार्टिन से क्रेडिट के लिए लेता और बदले में नयी कॉमिक्स बुक्स दे दिया करता था।

एक दिन उन दोनों ने उस डिस्ट्रीब्यूटर से पूछा कि क्या आप पुरानी कॉमिक्स बुक्स हमे दे सकते हो। कॉमिक्स डिस्ट्रीब्यूटर इस शर्त पर कि वो कॉमिक्स बुक्स को बेचेंगे नहीं, कॉमिक्स बुक्स देने के लिए तैयार हो जाता है।

उन्होंने सोचा क्यों न हम इन पुरानी कॉमिक्स बुक्स को किराये पर पढ़ने के लिए दें, और उन्होंने ऐसा ही किया।

उन्होंने अपने दोस्तों और बाकि बच्चों को पढ़ने के लिए कॉमिक्स बुक्स को किराये पर देना शुरु कर दिया। इसके बदले वो दो घंटे का 10 सेंट किराया वसूला करते थे, इन दो घंटों में ग्रहाक कितनी भी किताब पढ़ सकते थे।

उन दोनों ने माइक की बहन को इस काम में अपनी मदद के लिए एक डॉलर प्रत्येक सप्ताह की तनख्वाह पर रख लिया। इस तरह वो दोनों तीन महीने तक औसतन हर सप्ताह 9.50 डॉलर कमा रहे थे। इससे उन्होंने सीखा कि पैसे को खुद के लिए काम पर कैसे लगाया जाता?

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सबक 2 : लोगों को पैसे की शिक्षा देना क्यों जरुरी है

रॉबर्ट बताते हैं कि 1923 में एजवॉटर बीच होटल, शिकांगो में एक मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में दुनियाभर के लीडर और बेहद अमीर बिजनेस मैन लोगों ने हिस्सा लिया था ।

इनमें से एक बहुत बड़ी स्टील कंपनी के मालिक चार्ल्स शवाब और समुअल इंसुल उस वक्त की लार्जेस्ट यूटीलिटी प्रेजिडेंट के अलावा, और भी अन्य बड़े बिजनेस मैन यहाँ मोजूद थे।

इस मीटिंग के 25 साल बाद देखा गया कि इनमें से कई लोग गरीबी में मरे, कुछ ने ख़ुदकुशी कर ली थी और कुछ ने तो अपना दिमागी संतुलन ही खो दिया था।

असल बात तो ये है कि लोग पैसा तो कमा लेते हैं, लेकिन वो ये सीखना भूल जाते हैं कि पैसे को कैसे रखा जाए। 

आप चाहे कितना भी पैसा क्यों ना कमा लें, लेकिन उसे बनाये रखना सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, और अगर आपने ये हुनर सीख लिया तो आप किसी भी समस्या का सामना बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं ।

दोस्तों इस पोस्ट में जिस Topic के बारे में आप अब पढ़ने वाले हैं, उसे समझना बेहद जरुरी है। जब पैसों की बात आती है, तो अक्सर हम सब के दिमाग में कई तरह के सवाल उठते हैं ।

जैसे- पैसे कमाने की शुरुआत कैसे और कहाँ से की जाए? कौन सी किताबें पढ़ना अच्छा रहेगा? कामयाबी का रहस्य क्या है? हम किस तरह से लाखों रुपये कमा सकते हैं?

वैगेराह-वैगेराह लेकिन अधिकतर लोग सिर्फ पैसे पर ही अपना ध्यान लगाए बैठे रहते हैं, और अपनी सबसे बड़ी दौलत पर ध्यान ही नहीं देते हैं, जिसका नाम है Financial Education.

अगर आप ये सोचेंगे कि पैसा ही आपकी समस्याओं को सुलझा सकता है, तो आप के लिए आने वाला समय बहुत ही परेशानी भरा होगा। ध्यान रहे बुद्धि से समस्याएँ सुलझती हैं, और इसी से पैसा आता है ।

अगर आपके पास पैसे की समझ नहीं है, तो पैसा चाहे आपके पास आ भी जाए, पर ज्यादा देर तक नहीं टिकेगा। ज्यादातर लोग जिन्दगीभर ये नहीं समझ पाते कि असल बात ये नहीं है कि आप कितना पैसा कमा पाते हैं, बल्कि ये है कि आप कितना पैसा रख पाते हैं 

आपने लॉटरी जीतने वाले उन गरीब लोगों की कहानियाँ तो सुनी ही होंगी, जो अचानक अमीर बन जाते हैं, पर कुछ  ही समय बाद वो फिर से गरीब हो जाते हैं। ये लोग लाखों, करोड़ों रुपये जीतते हैं फिर भी वहीं आ जाते हैं, जहाँ से उन्होंने शुरु किया था।

इसके अलावा आपने ऐसे खिलाड़ियों और फिल्म स्टारों की कहानियाँ भी सुनी होंगी, जो अपनी जवानी के दिनों में करोड़पति होते, लेकिन बुढ़ापे कि दिनों में भीख माँगने तक के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसका कारण है पैसे की समझ न होना।

ये महत्त्वपूर्ण नहीं हैं कि आपने किता पैसा कमाया, बल्कि महत्त्वपूर्ण ये है कि आपने कितना पैसा बचाया, और आपने कितनी पीढ़ियों तक उस पैसे को सभालकर रखा । ये बात अच्छी तरह समझ लें कि अगर आप अमीर बनना चाहते है, तो आपके पास पैसे की अच्छी समझ होनी ही चाहिए।

चलिये इस उदाहरण से समझते हैं, अगर हमें कोई घर बनाना है तो हमें 6 फीट की नींव खोदनी होगी, वहीं अगर हमें बहुमंजला इमारत बनानी है, तो हमको सबसे पहले एक गहरा गढ्ढा खोदना पड़ेगा, और एक मजबूत नींव ड़ालनी होगी।

ज्यादातर लोग अमीर बनने के चक्कर में 6 फीट की नींव पर ही बहुमंजला इमारत बनाना चाहते हैं ।

हमारा स्कूली सिस्टम उस जमाने का है, जब खेती-किसानी  ही अर्थव्यवस्था का आधार थी। आज भी ये बिना नींव के घरों में भरोसा करता है। इसलिए स्कूल-कॉलिज से निकलने वाले बच्चों की कोई आर्थिक नींव नहीं होती। 

देखा जाए तो Accounting  दुनिया का सबसे बोरिंग विषय है। ये बहुत उलझन भरा विषय है। लेकिन अगर आप लंबे समय तक अमीर बने रहना चाहते हैं, तो ये सबसे महत्त्वपूर्ण विषय है। सवाल ये है कि आप इस बोरिंग और उलझन भरे विषय को किस तरह आसानी से समझ सकते हैं। 

Liabilities और Assets के बीच के फर्क को समझे और सिर्फ Assets ही खरीदें

अमीर बनने का सबसे आसान और सबसे महत्त्वपूर्ण नियम है, कि आपको संपत्ति यानि कि Assets और दायित्व यानि कि Liabilities का अंतर पता होना चाहिए, और हमेशा संपत्ति ही खरीदनी चाहिए ।अगर आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको बस इतना ही जानने की जरुरत है।

ये पहला नियम है और यही इकलौता नियम है, जो बहुत आसान लगता है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इस नियम की इन्पोर्टेंस पता ही नहीं होती है।

ज्यादातर लोग पैसे से सम्बन्धित समस्याओं में सिर्फ इसलिए उलझ जाते हैं, क्योंकि उन्हें ये नहीं पता होता कि संपत्ति यानि कि Assets और दायित्व यानि कि Liabilities में क्या फर्क होता है।

अमीर लोग संपत्ति इक्कठा करते हैं, वहीं गरीब और मिडिल क्लास के लोग दायित्व इक्कठा करते हैं, और मजे की बात ये है कि गरीब और मिडिल क्लास के लोगों को ये लगता है, कि वो संपत्ति इक्कठा कर रहे हैं । चलिये अब Assets और Liablities के अंतर को समझते हैं।

Liabilities और Assets किसे कहते हैं?

Assets वह चीज है, जो आपकी जेब में पैसे डालती है, वहीं Liabilities वह चीज है, जो आपकी जेब से पैसे निकालती है। बस आपको इतना ही जानने की जरुरत है।

अगर आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आप जिन्दगीभर संपत्ति यानि Assets खरीदते रहिये। अगर आप गरीब या मिडिल क्लास आदमी बनना चाहते हैं, तो आप दायित्व यानि Liabilities खरीद सकते हैं।

Liabilities और Assets के बीच के फ़र्क को, न जानने  से ज्यादातर लोग जिन्दगीभर पैसे की तंगी से जूझते रहते हैं। 80 % परिवारों की पैसे की कहानी यही होती है, कि वो पैसे कमाने कि लिए कड़ी मेहनत करते रहते हैं, फिर भी वो अमीर नहीं बन पाते।

इसका मतलब ये नहीं कि वो पैसा नहीं कमाते, इसका असली कारण  ये है कि वो जिन्दगीभर  संपत्ति की जगह दायित्व ही खरीदते रहते हैं।

पैसा कमाने के बाद उसका क्या किया जाए? पैसे को अपने पास कितने लंबे समय तक रोका जाये? पैसे से कड़ी मेहनत कैसे करवाई जाए? अगर आप इन सवालों के जवाब जानते हैं, तो इसका मतलब है आपको पैसे की समझ है।

ज्यादातर लोग ये नहीं बता पाते कि उनकी पैसे की तंगी का कारण क्या है? ऐसा इसलिए भी होता है कि उनमें कैश फ्लो की समझ नहीं होती है।

जी हाँ कैश फ्लो! कोई आदमी बहुत पढ़ा लिखा हो सकता है, अपने कारोबार में सफल हो सकता है, लेकिन फिर भी हो सकता है, कि उसमें पैसों की बिल्कुल भी समझ ना हो ।

ऐसे लोग अक्सर जरुरत से ज्यादा कड़ी मेहनत करते हैं, क्योंकि उन्होंने कड़ी मेहनत करना तो सीखा है, लेकिन पैसे से अपने लिए कड़ी मेहनत करवाना नहीं सीखा। 

चलिये आपको संपत्ति और दायित्व का अंतर इस छोटी सी कहानी से समझते हैं। हाल ही में शादी-शुदा पति-पत्नी एक किराये के मकान में रहने लगते हैं

उन्हें ऐसा लगता है कि वो पैसा बचा रहे हैं, क्योंकि दो लोगों के साथ-साथ रहने का खर्च भी लगभग उतना ही होता है, जितना की अकेले आदमी का। 

अब समस्य ये है कि जिस मकान में वो रहते है वो बहुत छोटा है। वो दोनों अपने सपनों का घर खरीदने के लिए पैसा बचाने लगते है, ताकि वो बच्चे पैदा कर सकें।

अब उनके पास दो तनख्वाह होती हैं और वो अपने करियर पर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं।

उनकी आमदनी बढ़ने लगती है। उनकी आमदनी बढ़ने के कारण वो फैसला लेते हैं कि अब वो किराये के मकान में नहीं रहेंगे बल्कि अपने सपनों का घर खरीद लेंगे।

और वो दोनों एक नया घर खरीद लेते हैं, घर खरीदने के बाद उन पर एक नए Tax का बोझ आ जाता है, जिसे प्रोपर्टी टैक्स कहते हैं, फिर वो दोनों एक नयी कार खरीदते हैं, नया फर्नीचर और नया सामान खरीदते हैं, ताकि उनका घर आलीशान लगे।

वो दोनों ये सब चीजे संपत्ति समझकर खरीद रहे हैं, लेकिन ये संपत्ति नहीं दायित्व हैं, क्योंकि इन सब चीजों से उनकी जेब में पैसा आ नहीं रहा है बल्कि जा रहा है।

अचानक वो अपने सपने से जागते हैं और देखते हैं कि उनके दायित्व का कॉलम बढ़ गया है और वो कर्ज में हैं, और उन्हें कार लोन व क्रडिट कार्ड लोन कि किस्त भी चुकानी हैं।

अब वो भी चूहा दौड़ में फंस चुके हैं। एक बच्चा पैदा हो जाता है। तभी उनके पास किसी ओर  बैंक का एक क्रडिट कार्ड आ जाता है, वो उसका इस्तेमाल करते हैं।

वो खत्म हो जाता है तभी एक लोन कंपनी का आदमी आकर उन्हें बताता है कि समझदारी इसी में होगी कि वो अपनी ऊँची ब्याज दर के लिए इस कंज्यूमर लोन को उनके क्रडिट कार्ड से चुका दें और इससे घर पर लगने वाले ब्याज से भी उन्हें Tax में छूट मिलेगी ।

दोस्तों वो ऐसा ही करते हैं और ज्यादा ब्याज दर वाले क्रडिट कार्ड का भुगतान कर देते हैं। इसके बाद वो राहत भरी सांस लेते हैं, उन्होंने क्रडिट कार्ड का हिसाब साफ कर दिया है। 

अब उन्होंने अपने कंज्यूमर लोन को होम लोन में बदल लिया है। उनको अपनी Passive Income देनी है क्योंकि उन्हें अपनी होम लोन की किस्त 30 सालों में चुकानी है। इस समस्या से निपटने का यही Smart तरीका उन्हे लगता है।

अब वो अगले 30 सालों तक किस्त चुकाएंगे और पैसों की तंगी का सामना करेंगे। पैसे का डर हमेशा उन पर हावी रहेगा कहीं नौकरी ना छूट जाये, वरना किस्त कैसे चुकाएंगे ।

हम इतना भी नहीं जानते कि समस्या पैसा कमाने की नहीं है, बल्कि पैसे को सही तरह खर्च करने की है और ये ही पैसे की तंगी का कारण है।

दोस्तों अगर आपको लगता है कि आपने अपने आपको किसी गढ्ढे में फंसा दिया है, तो गढ्ढा खोदना बंद कीजिए। गरीब और मिडिल क्लास के लोग अक्सर धन  की ताकत से नियंत्रित होते हैं।

वो सुबह-सुबह उठकर कड़ी मेहनत करने यानि नौकरी करने चले जाते हैं, और खुद से ये तक नहीं पूछते कि क्या ऐसा करना समझदारी है।

पैसे की समझ ना होने के कारण ज्यादातर लोग, पैसे की डरावनी ताकत को ये इजाजत दे देते हैं कि वो इन पर काबू कर ले। पैसे की ताकत उनके विरोध में इस्तेमाल होती है।

क्या हम खुद से ये सवाल पूछ सकते हैं कि क्या इसमे समझदारी है? हम लोग अंदरुनी समझदारी पर भरोसा करने के बजाए भीड़ के साथ-साथ चलने लगते हैं।

अक्सर नासमझी के कारण हम वही दौहराते हैं, जो हमे सिखाया गया है। भीड़ के साथ चलने और पड़ौसियों के ऐशो-अराम की नकल करने के कारण पैसों की बहुत सी समस्याएँ पैदा होती है।

अमीर बनने का सबसे महत्त्वपूर्ण नियम ये है, कि Assets और Liablities के बीच के अंतर को पहचाना जाए और हमेशा पैसा देने वाले Assets खरीदने की कोशिश की जाए। इसी के साथ अपने Liablities और खर्च को भी कम करने की कोशिश करते रहें। 

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सबक 3 : अपने काम से काम रखो

इस अध्याय में Author कहते हैं, कि अमीर लोग अपने Assets पर ध्यान देते हैं, जबकि गरीब या मिडिल क्लास लोग अपने इनकम स्टेटमेंट पर ज्याद ध्यान देते हैं।

टैक्सस यूनिवर्सिटी में मैकडॉनल्ड के संस्थापक रे क्रॉक ने एमबीए की एक क्लास में अपनी स्पीच दी। ये बात 1947 की है, उनकी यह स्पीच बहुत ही शानदार, और लोगों को प्रेरित करने वाली थी।

इस स्पीच के बाद क्लास के छात्रों ने उनके साथ कुछ समय बिताने की गुजारिश की तो मैकडॉनल्ड के संस्थापक रे क्रॉक उन छात्रों के साथ बीयर पीने के लिए सहमत हो गये।

इसी बीच बातों-बातों में रे क्रॉक ने छात्रों से पूछा क्या आप लोग जानते हो कि मैं किस व्यवसाय में हूँ? इस सवाल के बाद पहले तो छात्र हँसने लगे फिर उनमें से किसी एक ने हिम्मत जुटाते हुए जवाब दिया, कि जाहिर है आप हैमबर्गर बेचने के व्यवसाय में हैं।

इस जवाब को सुनकर रे क्रॉक हँसने लगे और उन्होंने कहा मैं जानता था कि आपका जवाब यही होगा लेकिन मैं हैमबर्गर व्यवसाय में नहीं बल्कि रियल एस्टेट व्यवसाय में हूँ। 

मैकडॉनल्ड की सफलता में फ्रैंचाइजी की जमीन और उसकी लोकेशन की अहम भूमिका है। जो मैकडॉनल्ड की फ्रैचाइज खरीदता है, उसको वो जमीन भी खरीदनी पड़ती है। इसका सीधा सा मतलब है, ये एक रियल एस्टेट बिजनेस भी है।

आज मैकडॉनल्डस संसार में रियल एस्टेट का सबसे बड़ा स्वामी है, जो संसार के सबसे मूल्यवान चौराहों और सड़कों के नुक्कड़ों पर आपने कदम जमाए हुए है। 

यही सबक अमीर डैडी ने रॉबर्ट को सिखाया कि कैसे लोग, खुद को छोड़कर बाकी सबके लिए काम करते हैं। अमीर डैडी इस रहस्य को जानते थे, इसलिए वो हमेशा कहते थे कि अपना पूरा ध्यान खुद के काम पर केंद्रित करो, अपना पूरा जीवन दूसरो की खातिर काम करने में बर्बाद मत करो।

हममें से ज्यादातर लोग टैक्स चुकाकर सरकार के लिए काम करते हैं। हम उस कंपनी के लिए काम करते जहाँ हम नौकरी करते हैं।

ज्यादातर लोगों की जिंदगी में पैसों की तंगी इसलिए आती है, क्योंकि वो सारी जिंदगी दूसरों के लिए काम करते रहते हैं, और अपने लिए कुछ नहीं बचा पाते।

हमारी आज की शिक्षा प्रणाली ऐसी है, जो युवाओं को केवल अच्छी नौकरी दिलाने के लिए तैयार करती है। आप सब जानते हैं, आप जो पढ़ेंगे वही आप बनेंगे

यानि अगर आप कुकिंग का अध्ययन करते हैं, तो आप शेफ बन जाते हैं। अगर आप विधि का अध्ययन करते हैं, तो आप वकील बन जाते हैं, और अगर आप मैथमेटिक्स पढ़ते हैं, तो आप इंजीनियर बन जाते हैं।

अब समस्या ये कि इससे भी छात्रों का कोई भला नहीं हो पाता क्योंकि वो नौकरी और बिजनेस के बीच के अंतर को नहीं समझ पाते और अपना पूरा जीवन दूसरे के काम की परवाह करने और उसे अमीर बनाने में लगा देते हैं। 

पेशे और आपके खुद के काम में एक बड़ा फर्क होता है। रॉबर्ट कहते हैं जब मैं एक बैंक में काम करने वाले व्यक्ति से पूछता हूँ, कि आपका खुद का काम क्या है? तो उसका जवाब होता है, कि मैं एक बैंकर हूँ।

फिर मैं उस व्यक्ति से पूछता हूँ कि क्या आप उस बैंक के मालिक हो, तो उसका जवाब होता है नहीं मैं तो वहाँ नौकरी करता हूँ।

दरअसल उस व्यक्ति ने अपने पेशे और खुद के काम को एक ही मान लिया है। लेकिन यहाँ उसका पेशा तो बैंकर का है परन्तु उसका खुद का काम कुछ भी नहीं है।

Author कहते हैं, कि लोगों को अपने खुद के काम पर ध्यान देना चाहिए और अपनी नौकरी करते हुए असली संपत्तियाँ खरीदते रहना चाहिए। हमें ऐसे दायित्व या निजी सामान खरीदने से बचना चाहिए जिनका मूल्य उन्हें घर लाने के बाद कम हो जाये।

क्योंकि यदि आप कोई नई कार शोरुम से खरीदकर अपने घर लाते हैं, तो उसकी कीमत उसी समय 25% कम हो जाती है। इसका मतलब ये है कि कार एक असली संपत्ति नहीं है। इसी तरह और भी अन्य चीजें हैं, जिनकी कीमत लगातार घटती रहती है।

क्या आप जानते है, Business करना क्या होता है? चलिये समझते हैं, एक ऐसा कारोबार जहाँ अपके मौजूद रहने की जरुरत ना हो, जिसका प्रबंधन दूसरे लोग आपके लिए करें, उसे ही बिजनेस करना कहते हैं।

अगर आपको भी वहाँ मौजूद रहकर काम करना पड़े, तो वह बिजनेस नहीं बल्कि नौकरी है। 

रॉबर्ट कभी भी नौकरी छोड़ने की सलाह नहीं देते, बल्कि वो तो हमेशा Assets वाले कॉलम को बड़ा और मजबूत करने पर जोर देते हैं।

इसलिए अपने काम से काम रखना शुरु कर दीजिए और हमेशा ऐसे दायित्वों या व्यक्तिगत चीजों को खरीदनें से बचें जिनकी कीमत घर लाने के बाद कम हो जाती है।

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आपको किस तरह की Assets खरीदने चहिए?

रॉबर्ट कियोसाकी हमेशा असली सम्पत्तियाँ खरीदने की सलाह देते हैं, ऐसी संपत्तियाँ जो आपको फायदा पहुँचाती हैं जैसे-

  • ऐसे बिजनेस जिनमें आपको मौजूद रहने की जरुरत नहीं हो, आप केवल मालिक हों पर उसे दूसरे लोग चलाते हों।
  • स्टॉक्स में निवेश
  • बॉण्ड्स खरीदें
  • आमदनी देने वाला रियल एस्टेट खरीदें
  • बोद्धिक संपदा से मिलने वाली रॉयल्टी जैसे-Music, Scripts, Patents, Books आदि ।
  • इसके अलावा हर वो चीज जो कीमती है, जो आमदनी देती है और जिसका मूल्य समय के साथ बढ़ जाता है।

ऐसा नहीं है कि आप अपनी विलासिता की वस्तुएँ (दायित्व) ना खरीदें, लेकिन रॉबर्ट बताते हैं, कि अमीर लोग विलासिता की वस्तुएं सबसे अंत में खरीदते हैं जबकि गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों में विलासिता की वस्तुएं सबसे पहले खरीदने की प्रवृति होती है।

इतना समझ लेने के बाद अब आप अमीरों का सबसे बड़ा रहस्य सीखने के लिए तैयार हैं। यानी वो रहस्य, जो अमीरों को बाकी लोगों से काफी आगे पहुँचा देता है। 

सबक 4 : टैक्स का इतिहास और कॉर्पोरेशंस की शक्ति

शुरुआत में Tax केवल अमीर लोगों पर ही लगाया जाता था। शुरुआत में टैक्स का मतलब था, कि जो व्यक्ति ज्यादा पैसे कमायेगा, वो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जुर्माने के तौर पर सरकार को देगा।

बाद में टैक्स उन लोगों से भी वसूला जाने लगा, जिन्होंने इसकी पैरवी की थी यानि गरीब और मध्य वर्ग।

सबको लगता है कि अमीर लोग ज्यादा Tax देते हैं, पर वास्तव में ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। आज के समय में मध्यम वर्गीय लोग ज्यादा टैक्स देते हैं वहीं अमीर लोग सबसे कम टैक्स देते हैं, क्योंकि अमीर लोग टैक्स और उससे जुड़े सभी कानूनों को अच्छी तरह समझते हैं।

अमीर लोग या तो खुद सीखते हैं या फिर ऐसे लोगों को जॉब पर रखते हैं जो इस फिल्ड के अच्छे जानकार होते हैं।

कॉर्पोरेशन सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिससे एक कानूनी संस्था बनती है। यह दरअसल कोई चीज नहीं होती, यह कोई फैक्ट्री या लोगों का समूह नहीं होता, लेकिन कॉर्पोरेशन की इन्कम टैक्स दर व्यक्तिगत इन्कम टैक्स दर से कम होती है।

इसके अलावा कॉर्पोरेशन को टैक्स चुकाने से पहले कुछ खर्च करने की छूट होती है। इसलिए अमीर लोग अपना पैसा कॉर्पोरेशन में निवेश करते हैं, और उसका फायदा उठाकर अपना Tax कम कर लेते हैं।

अब हम देखेगें कि आखिर अमीर और मिडिल क्लास लोग टैक्स कैसे भरते हैं। अमीर लोग जिनकी बड़ी-बड़ी कंपनियाँ होती हैं, वो पहले मुनाफा कमाते हैं, फिर खर्च करते हैं, और फिर जो पैसा बचता है केवल उस पर टैक्स देते हैं।

मिडिल क्लास लोग पहले पैसा कमाते हैं, फिर टैक्स भरते है, और फिर जो बचता है उसे खर्च करते हैं । लेखक कहते हैं कि अगर आप अमीर बनना चाहते हैं तो आपको भी अपने देश की टैक्स प्रणाली को समझना होगा और टैक्स बचाने के नए-नए तरीके सोचनें होंगे। 

सबक 5 : अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं

Author, अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल की कहानी से शुरुआत करते हैं। अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफ़ोन का आविष्कार किया और बाद में उसे पेटेंट भी करा दिया।

उनके इस नए आविष्कार की माँग बहुत ज्यादा होने की वजह से वे बुहत परेशान थे, क्योंकि ग्राहम बेल को इतने बड़े बिजनेस को सँभालने में काफी दिक्कत आ रही थी।

इसलिए ग्राहम बेल उस जमाने की नामी कंपनी वेस्टर्न यूनियन के पास गये और उनसे पूछा कि क्या वे उनके पेटेंट तथा छोटी सी कंपनी को खरीदेंगे?

इस पूरे सौदे के बदले में ग्राहम बेल 100000 डॉलर चाहते थे, लेकिन वेस्टर्न यूनियन के प्रेज़िडेंट ने उनकी हँसी उड़ाते हुए इस प्रस्ताव को यह कहकर टुकरा दिया कि आप बहुत ज्यादा कीमत माँग रहे हो। बाकी इतिहास गवाह है इसके बाद एक मल्टी-बिलियन डॉलर कंपनी AT & T का जन्म हुआ ।      

रॉबर्ट 1984 से प्रोफेशनल तौर पर सिखाने के पेशे में हैं। राबर्ट ने हजारों लोगों को पढ़ाने के बाद सभी लोगों में एक चीज कॉमन देखी वो है पोटेंशियल (क्षमता)।

हर इंसान में कुछ ना कुछ पोटेंशियल होती है, जो उन्हे महान बनाती हैं। लेकिन एक चीज हम सभी को किसी ना किसी हद तक पीछे रोककर रखती है और वो है खुद पर डाउट (शंका) रखना। 

आप में से ज्यादातर लोग जानते होंगे कि एक बार स्कूल-कॉलिज से निकलने के बाद, डिग्रियाँ  या अच्छे ग्रेड ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं रह जाते हैं।

असल जिंदगी में  ग्रेड काफी नहीं होते क्योंकि संसार में चतुर नहीं, साहसी लोग आगे बढ़ते हैं

रॉबर्ट कहते हैं कि वित्तीय प्रतिभा के लिए तकनीकी ज्ञान और साहस दोनों की जरुरत होती है।  ज्यादातर लोग पैसों के मामले में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते, लेकिन अगर आपको अमीर बनना है, तो आपको रिस्क लेना ही पड़ेगा।  

अब आपको ही फैसला करना है कि आप क्या बनना चाहते हैं? अगर आप अपना फिनेंशियल IQ बढ़ाते हैं तो आप जिंदगी में बहुत कुछ हांसिल कर सकते हैं और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आगे आने वाला समय आपके लिए और भी ज्यादा डरावना होगा।   

रॉबर्ट कहते हैं कि आज के समय में भी, मैंने बहुत सारे लोगों को संघर्ष व कड़ी मेहनत करते हुए देखा क्योंकि वो आज भी पुराने विचारों से जकड़े हुए हैं।

वो अपनी नौकरी छूटने, अपना मकान गँवाने के लिए  तकनीक, अर्थव्यवस्था या अपने बॉस को दोष देते रहते हैं। उन्हें ये पता ही नहीं होता कि इन समस्याओं का कारण वो खुद ही हैं।

रॉबर्ट ने एक गेम बनाया जिसे वो “कैश फ्लो“ कहते हैं । ये गेम लोगों को सिखाता है कि पैसा कैसे काम करता है?  निवेश कैसे करना चाहिए? अमीर बनने का सही रास्ता क्या है? रॉबर्ट ने ये सारी बातें इस गेम के माध्यम से समझाने की कोशिश की है। 

एक दिन एक महिला राबर्ट के पास आई। इस महिला ने सीखने का एक मूल्यवान अवसर खो दिया था । शुरुआती दौर में गेम खेलने के दौरान उसे एक बोट कार्ड मिला। जिसका मतलब ये था कि उसने एक नाव जीती है।

वो महिला बहुत खुश हुई लेकिन जब उसे पता चला कि इस नाव को लेने लिए उसे एक बड़ी रकम टैक्स के रुप में भरनी होगी तो वह बहुत उदास हो गयी। वो बोट उस महिला लिए Asset नहीं बल्कि Liability बन गयी थी।

उस महिला को लगने लगा कि ऐसे तो ये बोट उसकी जान ही ले लेगी। उसे ये खेल समझ नहीं आया और उसने रिफंड की मांग की। वह पैसे वापस लेकर चली गयी।

लेकिन बाद में उसने फोन करके बताया कि अब उसे ये गेम समझ में आने लगा है। वो उस गेम से अपने जीवन को जोड कर देख पा रही थी।

ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं, जो बात हमारी समझ से परे होती है, अक्सर हम उस बात पर गुस्सा करने लगते हैं। इसलिए आपके लिए बेहतर होगा कि आपको चीजों को समझना चाहिए।

कैशफ्लो खेलने वाले कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस खेल में काफी सारा पैसा कमा लेते हैं लेकिन उन्हें ये पता नहीं होता कि उस पैसे का क्या करें? 

असल जिंदगी में भी ऐसा ही होता है, कुछ लोगों के पास पैसा तो बहुत होता है लेकिन वे वित्तिय दृष्टि से कमजोर होते हैं, उनकी पुरानी सोच उन्हे आगे बढ़ने नहीं देती और वो सिर्फ सही मौके की तलाश में बैठे-बैठे अपनी जिंदगी गवां देते हैं ।

रॉबर्ट कहते हैं कि कुछ लोगों को तो सही मौका मिल भी जाता है लेकिन फिर भी वो उसका फायदा नहीं उठा पाते क्योंकि वो कहेंगे कि उनके पास तो पैसा ही नहीं है।

अब कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास पैसा भी होता है और मौका भी लेकिन ये यह नहीं समझ पाते कि ये एक अपोरच्यूनिटी है।

वित्तिय बुद्धि का मतलब है, ज्यादा विकल्प सोचना। अगर आपके पास मौके नहीं आ रहे हैं, तो आप अपनी वित्तिय स्थिति को बेहतर करने के लिए क्या कर सकते हैं? अगर कोई अवसर आपकी गोद  में आ टपकता है,

लेकिन अपके पास पैसा नहीं है, और बैंक वाले उधार देने को तैयार नही हैं, तो आप उस अवसर से कैसे लाभ उठा सकते हैं? ये सब बातें आपकी फिनेंशियेल इंटेलीजेंस पर निर्भर करती हैं ।

ज्यादातर लोग इन सब बातों का सिर्फ एक ही समाधान जानते है कि कड़ी मेहनत करके खूब पैसा कमाया जाए और कर्ज लिया जाए।

अगर आप ऐसे इंसान बनना चाहते हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाता है, तो मौके के इंतजार में बैठे ना रहें बल्कि आपको सीखना होगा कि अपने लिए मौका कैसे पैदा किया जाए।

अगर आप सही परिस्थितियों के आने का इंतजार करते रहेंगे तो शायद आपको बहुत लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा ।

अमीर लोग जानते हैं कि पैसा वास्तविक नहीं है। हमारा दिमाग ही सबसे शक्तिशाली संपत्ति है। आपको फिनेंशियेल इंटेलीजेंस के बारे में जानना होगा। रॉबर्ट पैसे बनाने का एक सरल उदाहरण देते हैं, वो बताते हैं कि 1990 के दशक की शुरुआत में फीनिक्स और एरिजोना की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी ।

वहाँ के लोगों को हर महीने 100 डॉलर बचाने की सलाह दी जा रही थी। हर महीने एक निश्चित धन राशि बचाने का यह विचार काफी दमदार था।

लेकिन ऐसे पैसे का क्या फायद, इससे बेहतर तो ये होगा कि आप उस पैसे का कुछ हिस्सा निवेश करते रहें जो आगे चलकर आपको ज्यादा फायदा देगा।

फीनिक्स और एरिजोना के लोग आर्थिक तंगी झेल रहे थे। लोग अपनी प्रोपर्टी ओने-पोने दामों पर बेचने को मजबूर थे। निवेशकों के लिए यह सबसे अच्छा मौका था।

रॉबर्ट ने भी 75,000 डॉलर की कीमत वाला एक मकान  सिर्फ 20,000 डॉलर में ही खरीद लिया।

इसके बाद उन्होंने अटॉर्नी  के आफिस में एक विज्ञापन दिया और उनके पास उनका 75,000 डॉलर की कीमत वाला यह मकान 60,000 डॉलर में लेने वाले ग्राहकों की भीड लगने लगी।

उन्होंने इसे 60,000 डॉलर में बेचकर 40,000 डॉलर कमा लिये। इस पूरे खेल में रॉबर्ट को केवल 5 घंटे का ही समय लगा।

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इनमें से कौन सा  काम आपको ज्यादा मुश्किल लगता है?

  1. कड़ी मेहनत करें, फिर जितना कमाते हो उसका 50% टैक्स चुकाएं, इसके बाद जो बचता है, उसे बचाएं, आपकी बचत 5% ब्याज कमाती है, जिस पर एक बार फिर टैक्स लगता है।
  2. अपनी वित्तीय बुद्ध् को बढाने का समय निकालें। अपने दिमाग और संपत्ति वाले कॉलम की शक्ति का दोहन करें।

यदि आप पहले वाले विकल्प का चुनाव करते हैं, तो निश्चित रुप से पहले यह पता लगा लें कि 40,000 डॉलर कमाने में आपको कितना समय लगेगा।

क्योंकि समय आपकी सबसे बड़ी संपत्ति में से एक है। इसलिए मैं आपको दूसरे विकल्प को चुनने की सलाह दूँगा। सिर्फ अपने दिमाग पर इंवेस्ट करें और फिनेंशियली इंटेलीजेंट बनें।

इसलिए अगर आप दूसरे प्रकार के निवेशक बनना चाहते हैं, तो आपको  तीन मुख्य योग्यताएं विकसित करने की ज़रुरत हैः-

1-कोई ऐसा मौका खोजें, जिसे बाकी सभी ने नजरअंदाज कर दिया हो— याद रखें, आप अपने दिमाग से वो देख सकते हैं, जो दूसरे लोग अपनी आँखो से नहीं देख पाते।

2-पैसा बढाइये आम आदमी पैसे जुटाने के लिए सिर्फ बैंक तक जाते हैं लेकिन दूसरे प्रकार के निवेशक को यह पता होना चाहिए कि बैंक जाए बिना पैसों की, कितने तरीकों से व्यवस्था की जा सकती हैं ।

3-स्मार्ट लोगों को संगठित कीजिए बुद्धिमान लोग वे होते हैं, जो अपने से ज्यादा बुद्धिमान लोगों के साथ काम करते हैं। जब भी आपको सलाह की जरुरत पड़े तो अपने सलाहकार समझदारी से चुनें।

सबक 6 : सीखने के लिए काम करें, पैसौ के लिए नहीं

रॉबर्ट कियोसाकी बताते हैं कि एक बार सिंगापुर में एक महिला पत्रकार उनका इंटरव्यू ले रही थी। महिला पत्रकार उनसे बोली कि मैं भी आपकी तरह बेस्टसेलिंग लेखक बनना चाहती थी। रॉबर्ट  भी उस महिला पत्रकार के लेख पढ़ चुके थे, जो काफी दमदार और स्पष्ट थे।

उसके लेखों में पाठकों को अपना बनाने की क्षमता थी। महिला रिपोर्टर कहती है कि मेरे नॉवलस लोगों द्वारा काफी पसंद किये जाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं होता है, इसलिए उसने रॉबर्ट से सलाह माँगी कि उसे क्या करना चाहिए?

रॉबर्ट ने उससे पूछा, “तो ऐसी क्या चीज है जो आपको अपने सपने सच  करने से रोक रही है “इस सवाल के जवाब में उस महिला रिपोर्टर ने जवाब दिया कि मेरी मेहनत रंग नहीं ला रही है। इस पर रॉबर्ट ने उस महिला रिपोर्टर को सेल्स-ट्रेनिंग का कोर्स करने की सलाह दी।

इस बात पर वो महिला नाराज होकर कहने लगी, मैं एक पेशेवर लेखिका हूँ, मेरे पास इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर डिग्री है, भला मुझे बिक्री सीखने की क्या जरुरत है। 

रॉबर्ट कहते हैं कि ये दुनिया स्मार्ट, शिक्षित और प्रतिभाशाली लोगों से भरी पड़ी है। हम ऐसे लोगों से रोज मिलते हैं, ऐसे लोग हमारे आप-पास ही होते हैं।

लेकिन पॉइंट की बात ये है कि पैसा कमाने के लिए केवल आपका टेलेंट ही काफी नहीं है, क्योंकि उस टेलेंट को कैसे भुनाया जाए, जब तक आप ये नहीं जानेगे, तब तक आपका टेलेंट बेकार है।

बेचने और मार्केटिंग की योग्यताएँ सीखना ज्यादातर लोगों के लिए मुश्किल होता है। खासतौर पर अस्वीकृति के डर के कारण लेकिन इसे सीखना बहुत जरुरी है।

अमीर और गरीब डैडी के बीच एक सबसे बड़ा अंतर ये था, कि गरीब डैडी हमेशा नौकरी की चिंता करते थे, क्योंकि एक सेफ नौकरी ही उनके लिए सब कुछ थी,

जबकि अमीर डैडी सिर्फ और सिर्फ सीखने पर जोर देते थे क्योंकि अमीर बनने के लिए आपको बहुत कुछ सीखना पड़ता है, जो आप Synopsis of Rich Dad Poor Dad in Hindi को पढ़कर सीख सकते हैं।

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सबक 7 : बाधाओं को पार करना

रॉबर्ट कहते हैं, कि पैसे की समझ होने के बाद भी आर्थिक आजादी हासिल करने की राह में कई बाधाएँ आपके सामने आ सकती हैं। ऐसे पाँच मुख्य कारण हैं, जिनकी वजह से पैसे की समझ रखने वाले लोग भी अपने संपत्ति वाले कॉलम को ज्यादा नहीं बढ़ा पाते। इसलिए इन बाधाओं को पर करना बहुत ही जरुरी है।

  1. डर
  2. निराशावाद
  3. आलस्य
  4. बुरी आदतें
  5. अहंकार

चलिये एक-एक करके इन पांचो बाधाओं को समझते हैं ….

1-डर को पार करनाः- रॉबर्ट कहते हैं, कि मुझे आज तक इस दुनिया में ऐसा कोई इंसान नहीं मिला जिसे पैसे का नुकसान अच्छा लगता हो और ना ही मुझे कोई ऐसा अमीर इंसान मिला, जिसने पैसे का नुकसान ना उठाया हो।

लेकिन वो कहते हैं कि मैं ऐसे बहुत से गरीब लोगों से मिला हूँ जिन्होंने एक रुपया भी निवेश में नहीं खोया है, मतलब एक रुपया भी निवेश नहीं किया है।

पैसे गँवाने का डर हर इंसान को होता है लेकिन असली समस्या डर नहीं है। समस्या तो ये है कि आप इस डर का मुकाबला कैसे करते हैं और पैसे गँवाने के बाद की स्थिति से कैसे निपटते हैं।

आप असफलता को कैसे लेते हैं। असफलता विजेताओं को प्रेरित करती है और असफलता पराजितों के हौंसले पस्त कर देती है। किसी अमीर आदमी और गरीब आदमी के बीच में यही मूलभूत अन्तर होता है कि वे उस डर से कैसे मुकाबला करते हैं।

ज्यादातर लोग इसलिए अमीर नहीं बन पाते क्योंकि उनको अमीर बनने की खुशी से ज्यादा पैसे गँवा देने का डर होता है।

अगर आपकी उम्र 25 वर्ष से ज्यादा है और जोखिम उठाने से आपको डर लगता है, तो अपने आप को बदलने की जरुरत है। आप बेशक सुरक्षात्मक तरीके से ही खेलें लेकिन आपको जल्दी ही शुरुआत कर देनी चाहिए।

2-निराशावाद को पार करनाः- “आसमान गिर रहा है! आसमान गिर रहा है!“ हममें से ज्यादातर लोग उस छोटे मुर्गे की कहानी जानते हैं, जो विनाश की चेतावनी देता हुआ दौड़ रहा था।

हम सभी के मन में शंकाएँ होती हैं। हमारी शंकाएँ हमें निष्क्रिय बना देती हैं। हम “क्या होगा अगर“ वाला खेल खेलने लगते हैं।

क्या होगा अगर इस निवेश में मेरे पैसे डूब गये? क्या होगा अगर सब चीजें मेरी योजना के हिसाब से ना हों? ये शंकाएँ हमें इतना डरा देती हैं, कि कभी-कभी हम काम शुरु ही नहीं कर पाते और अच्छे मौके हमारे सामने से गुजर जाते हैं। हमें इन शंकाओं को नजरअंदाज करके आगे बढ़ना है।                                                                                                                  

3-आलस्य पर जीत हाँसिल करनाः- व्यस्त लोग अक्सर सबसे ज्यादा आलसी होते हैं। इसका सीधा सा मतलब आप इस छोटी सी कहानी से समझ सकते हैं।

एक व्यवसायी होता है, जो पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वो ऑफिस में देर तक काम करता है, और वीकएंड्स पर भी ऑफिस का काम घर ले आता है।

एक रात जब वो घर वापस लौटता है, तो उसे घर खाली मिलता है, क्योंकि उसकी पत्नी बच्चों के साथ लेकर घर छोड़कर चली जाती है।

वह जानता था कि उसके और उसकी पत्नी के संबंध कमजोर हैं, लेकिन संबंध को मजबूत बनाने की मेहनत करने के बजाय वह ऑफिस में ही व्यस्त बना रहा।

परिवार के चले जाने पर वह निराश हो जाता है और अपने काम में भी लापरवाही करने लगता है, जिसके कारण उसकी नौकरी भी चली जाती है। ज्यादा व्यस्त लोग किसी एक चीज में अपना सारा समय देकर बाकी चीजें गंवा बैठते हैं।                                    

आप अपने आलस्य पर कैसे जीत हाँसिल कर सकते हैं, इसका जवाब है “थोड़े से लालच से“ हमेशा अपने आप से सवाल करें, मेरी जिंदगी कैसी होगी अगर मुझे कभी काम ना करना पड़े?

इस तरह थोडे लालच से आप कुछ बेहतर करने कोशिश कर सकते हैं। याद रखें हर चीज की अति बुरी होती है इसलिए ज्यादा लालच भी ना करें।                                                                           

4-बुरी आदतों से बचनाः- हमारी आदतें, हमारी शिक्षा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती हैं। अगर आप किन्ही दो व्यक्तियों में तुलना करेंगे तो आप उनकी आदतों में काफी अन्तर देखेंगे।

रॉबर्ट कहते हैं कि “अगर मैं खुद को सबसे पहले पैसे देता हूँ, तो मैं वित्तिय, मानसिक और आर्थिक दृष्टि से ज्यादा मजबूत बनता हूँ।”  यानि आपको हर महीने पैसे आने के बाद सबसे पहले अपनी Savings और Investment के लिए पैसे अलग निकालने हैं, इसके बाद ही अपने Bills चुकाने हैं। 

अगर आपको अमीर बनना है, तो आपको यह आदत डालनी ही होगी, चाहे आपके पास पैसे कम ही क्यों न हों। खुद को पहले Pay करने की आदत से आपको दो फायदे होंगे। 

पहला- समय के साथ-साथ आपको संपत्ति वाला कॉलम बढता रहेगा 

दूसरा आप कमाई के अन्य मौकों का भी लाभ उठा सकते हैं।                                                                                                            

5-अहंकार को पार करनाः- अमीर डैडी अक्सर कहते थे कि जो मैं जानता हूँ उसी की बदौलत मैं पैसे बनाता हूँ, और जो मैं नहीं जानता उसी की वजह से मैं पैसे गँवाता हूँ। ज्यादातर लोग अपनी अज्ञानता को छिपाने की कोशिश में अहंकार का इस्तेमाल करते हैं।

जरुरी नहीं है कि आपको हर चीज के बारे में जानकारी हो, लेकिन अहंकार करने से अच्छा होगा कि आप उस चीज के बारे में अच्छे से जानकारी कर लें।

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Rich Dad Poor Dad Book में दिए गये अनमोल विचार

संसार में अक्सर चतुर नहीं, साहसी लोग आगे बढ़ते हैं।

बेहतरीन अवसर आंखों से नहीं दिखते, वो तो दिमाग से देखे जाते हैं।

ज्यादातर लोग वित्तीय दृष्टि से इसलिए नहीं जीत पाते, क्योंकि पैसे गंवाने का दर्द अमीर बनने की ख़ुशी से  कहीं ज्यादा होता है।

असफलता विजेताओं को प्रेरित करती है, और असफलता पराजितों के हौंसले पस्त कर देती है।

जो इंसान अपने आर्थिक भविष्य की बागडोर अपने हाथों में लेना चाहता है, उसे Rich Dad Poor Dad Book से शुरुआत करनी  चाहिए।

FAQ- Rich Dad Poor Dad Book Summary in Hindi

रॉबर्ट कियोसाकी कौन हैं?

रॉबर्ट कियोसाकी एक जापानी अमेरिकी हैं। जिनका जन्म 08 अप्रैल 1947 को हवाई में हुआ था। ये एक बहुत ही Famous अमेरिकी बिज़नेसमैन, लेखक और निवेशक हैं।

रिच डैड पुअर डैड बुक की सबसे बड़ी सीख क्या है?

Asset और Liability के फ़र्क को समझना और Liability खरीदने के बजाय Asset में अपने पैसे को इंवेस्ट करना ही इस किताब की सबसे बड़ी सीख है।

रिच डैड पुअर डैड बुक किसे पढ़नी चाहिए?

Rich Dad Poor Dad Book दुनिया के हर उस इंसान को पढ़नी चाहिए जो अमीर बनना चाहता है लेकिन अगर आप एक Student हैं, तो आपके लिए ये किताब और भी ज्यादा फायदेमंद साबित होगी क्योंकि स्कूल या कॉलेज के दिनों में हमें केवल कोर्स के बारे में ही पढ़ाया जाता है और बाहरी दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं सिखाया जाता है। रिच डैड पुअर डैड बुक अमीरी का शॉर्टकट नहीं बताती, बल्कि यह आपके अन्दर पैसे की समझ विकसित करती है।

क्या रिच डैड पुअर डैड बुक को पढ़कर अमीर बना जा सकता है?

रिच डैड पुअर डैड बुक अमीरी का शॉर्टकट नहीं बताती, बल्कि यह आपके अन्दर पैसे की समझ विकसित करती है। इस किताब से आप अमीर बनने के नियम तो जान जाओगे लेकिन उनको फॉलो भी करना पड़ेगा तभी आप अमीर बन सकते हैं।

रिच डैड पुअर डैड बुक आपको क्या सिखाती है?

Rich Dad Poor Dad Book आपको बहुत ही अच्छे ढंग से पैसों का मैनेजमैंट करना सिखाती है।

पैसे को खर्च कहाँ करना चाहिए?

स्टॉक्स में निवेश, बॉण्ड्स खरीदें, आमदनी देने वाला रियल एस्टेट खरीदें, बोद्धिक संपदा से मिलने वाली रॉयल्ती जैसे-Music, Scripts, Patents, Books आदि इसके अलावा हर वो चीज जो कीमती है, जो आमदनी देती है और जिसका मूल्य समय के साथ बढ़ जाता है।

रिच डैड पुअर डैड किताब को ओरिजिनल तौर पर कब पब्लिश किया गया था?

Rich Dad Poor Dad Book को ओरिजिनल तौर पर 8 अप्रैल 1997 में पब्लिश किया गया था।

रिच डैड पुअर डैड किताब में कितने पन्ने हैं?

इसके हिंदी संस्करण-2020 में कुल 308 पन्ने हैं।

रिच डैड पुअर डैड किताब कहां से “खरीदें”?

आप रिच डैड पुअर डैड किताब को Amazon और फ्लिप्कार्ट से Online खरीद सकते हैं।

Conclusion

Rich Dad Poor Dad Book को लिखने का मुख्य उद्देश्य लोगों में पैसे की समझ पैदा करना है। इस किताब से पर्सनल फाइनेंस के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जो भी इंसान अपने आर्थिक भविष्य की बागडोर अपने हाथों में लेना चाहता है उसे रिच डैड पुअर डैड बुक से शुरूआत करनी चाहिए।

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